Friday 28 March 2008

नैतिक दुविधा से ग्रस्त खूनी खेल: रेस


एक बात है, अब्बास-मस्तान नामधारी यह सफ़ेदपोश निर्देशक जोड़ा जब भी बदले के खूनी खेल से भरी कहानियाँ बनता है तो अपनी पिच पर खेलता नज़र आता है. और यह भी सही है कि श्रीराम राघवन नामक चमत्कार के हिन्दी सिनेमा में अवतरित होने से पहले थ्रिलर के क्षेत्र में अब्बास-मस्तान ही मांग की पूर्ति करते रहे हैं.

लेकिन रेस की कहानी में एक मूलभूत झोल है जो इसे बाज़ीगर या सोल्ज़र (मैं इन्हें अब्बास-मस्तान का सबसे महत्त्वपूर्ण काम मानता हूँ) नहीं बनने देता. आप गौर करेंगे कि बाज़ीगर और सोल्ज़र दोनों ही फिल्मों में नायक प्रत्येक हत्या के साथ अपने नायकत्व को और ज़्यादा मज़बूती से स्थापित करता है. प्रतिनायक की छवि बनाते हुए भी शाहरुख़ अपनी हर हत्या के साथ और ज़्यादा क्रूर होता जाता है और सोल्ज़र में बॉबी भी एक के बाद एक हत्या के दहला देने वाले तरीके तलाशता है. जैसे एक स्टेटमेंट की तरह बार-बार अपना नायकत्व सामने रख रहे हों. और यह काम करता है. यह दोनों ही अपने 'मर्दाना' नायकत्व को प्रत्येक क्रूरता के साथ और ज़्यादा मज़बूती से स्थापित करते हैं. इसका क्या कारण है?

इसका कारण यह है कि इन दोनों ही नायकों के पास एक बहुत ही मज़बूत मोटिव है बदले का. एक ऐसा अतीत है इनके पास जो इनका हर गुनाह माफ़ करवा देता है. ऐसा अतीत जो नायक की छवि हत्यारा होने के वावजूद खंडित नहीं होने देता. यहाँ तक कि नायक नायिका का भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति में इस्तेमाल करता है. लेकिन जिसके अतीत में राखी जैसी माँ अकेली खड़ी हो वहां नायिका के प्रेम की क्या बिसात. वैसे भी हिन्दुस्तानी सिनेमा में 'माँ' के सामने 'प्रेमिका' ने हमेशा दोयम दर्जे की भूमिका ही पाई है. यह नायक प्रत्येक हत्या के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है.

यहीं रेस मात खा जाती है. रेस में दोनों ही नायकों के पास हत्या का कोई आधार नहीं है. खासकर फ़िल्म के नायक के तौरपर स्थापित किए गए सैफ़ (रणवीर) के पास. ऐसे में वह अपने raw look के बावजूद भी कभी पूरी तरह क्रूर नहीं हो पाता. यह नैतिक दुविधा निर्देशक द्वय के दिमाग में भी है और इसी वजह से अंत में भी रणवीर द्वारा राजीव (अक्षय) की हत्या नहीं करवाई जाती. दरअसल रणवीर के पास राजीव को मारने का कोई कारण नहीं है सिवाय इसके कि राजीव उसे मारना चाहता है और बचने के लिए वह अपने छोटे भाई को मार दे. और यह तो बड़ा टटपूँजिया सा कारण है खून का! इसीलिए नैतिक दुविधा पैदा होती है जो फ़िल्म को एक संतुष्टिदायक अंत तक नहीं पहुचने देती. अंत में एक सड़क दुर्घटना में राजीव की मौत होती है जो बड़ा फुस्स अंत है!

फ़िल्म में दोनों नायकों में से किसी एक के पास हत्या के लिए एक सौलिड मोटिव का होना ज़रूरी था. अक्षय के नकारात्मक किरदार में इसकी कोशिश तो की गई लेकिन 'सौतेला' वाला फंडा कुछ जम नहीं पाया. यूँ भी नायक जब सैफ़ को पेश किया जा रहा है तो उसका एक नायक के रूप में स्थापित होना ज़रूरी था जो नहीं हो पाया. हालांकि फ़िल्म में इसकी गुंजाइश थी. शुरूआती पन्द्रह मिनट तक जिस तरह रनिंग कमेंट्री (वायस ओवर) के साथ किदारों का परिचय करवाया जा रहा था वह थियेटर का सबसे मूलभूत गड्ढा है. इसके बजाए एक अतीत का गढ़ना कहीं कारगर होता जहाँ भाइयों का टकराव बचपन से ही स्थापित किया जाता. एक सौलिड मोटिव रचा जाता. एक माँ भी होती तो क्या कहने! ऐसी एक अदद 'माँ' आनेवाली हर हत्या को नायक का बदला बना देती है. एक क्रूर लेकिन दिलचस्प बदले की कहानी और रेस में बस इतना ही फ़ासला है.

3 comments:

Shaveta said...

bazigaar aur soldier..well these were the movies with which this duo entered into the arena.. but this movie is different and can be seen as an evolution for the duo.. hee hee

and jahan tak motive for murder is concerned i guess the movie took a twist when it showed the "Sautela bhai" funda of hindi cinema.. though i agree with u that it was pretty weak but it dint make the movie become worse or boring and i m sure if ek "MA'A" ko daal dete toh movie mei masale ki kaammi nahi rehti.. :D

jaya555 said...

नमस्ते !मैं चीन मैं हिन्दी विभाग की एक विद्यार्थी हूँ । इस साल के उत्तरार्द्ध मै मैं भारत मै पढ़ाई करने जाऊगी।आप का ब्लोग देखकर बड़ी खुशी है। क्या हम दोस्त बन सकें ?
यह मेरा ई मेल है: jaya555@yahoo.cn

Mihir Pandya said...

सिर्फ़ मसाले की बात नहीं है. मसाला होते हुए भी एक हिंसक फ़िल्म में हिंसा का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण है कहानी के लिए. नायक को खून करते हुए दिखाना और वो भी अपने भाई का, यह तब ही स्वीकार्य हो सकता है जब नायक के पास पूरा कारण हो उस हत्या का...

यहाँ शाहरुख़ खान की शुरूआती सफलताएं 'डर', 'बाजीगर', 'अंजाम' याद करना ज़रूरी है. एक नकारात्मक नायक को भी जनता ने स्वीकार किया क्योंकि उसका 'पास्ट' उसे वजह देता था खून की. सिर्फ़ पैसा खून की वजह हो यह एक हजम होनेवाला plot नहीं है.